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स्थापना का इतिहास जिला न्यायालय छिंदवाड़ा एवं इसकी तहसील न्यायालय
"छिंद" (खजूर जैसा दिखने वाला एक मीठा फल) के पेड़ों की प्रचुरता के कारण, वहाँ छिंद नाम का एक छोटा सा गाँव था, जहाँ अयोध्या-फैज़ाबाद (उत्तर प्रदेश) से आए एक हाथी व्यापारी रतन रघुवंशी ने छिंद के लिए एक बाड़ा बनाया था। . वहां भवन का निर्माण कराया गया, तभी से यह स्थान ग्राम छिंदवाड़ा के नाम से जाना जाने लगा। उसके बाद रतन रघुवंशी के अन्य रिश्तेदार यहां आकर रहने लगे और छिंदवाड़ा को एक छोटे बाजार के रूप में पहचान मिलने लगी, तब पहली बार इस जिले की सीमा का निर्धारण 1861 में "ब्रिटिश शासन" के दौरान किया गया था, उस समय बालाघाट, सिवनी। इस छिंदवाड़ा जिले में बैतूल जिला भी शामिल था।
छिंदवाड़ा में कचेहरी का निर्माण सबसे पहले 1865 में हुआ था और उस समय इसमें तहसील कार्यालय भी शामिल था। छिंदवाड़ा की सौंसर और पांढुर्णा तहसील में नगर पालिका की शुरुआत भी वर्ष 1867 में हुई थी।
ब्रिटिश काल के दौरान, सिविल कोर्ट की पहली इमारत छिंदवाड़ा में वर्तमान कलेक्टर कार्यालय के पश्चिमी तरफ खुली जगह में बिना पैरापेट के दो मंजिला कम्पार्टमेंट थी, जिसमें अदालतें संचालित होती थीं। छिंदवाड़ा के लोग उस इमारत को[...]
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